Trading Picks

Saturday 13 August 2011

शायद बन गयी इस गिरावट की तलहटी

अक्सर भारतीय बाजार अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों की तुलना में ज्यादा चंचल रहते हैं, मतलब यहाँ का उतार-चढ़ाव इन देशों के बाजारों से ज्यादा रहता है।
लेकिन पिछले दिनों की भारी उठापटक के बाद उल्टा दिख रहा है। बुधवार को अमेरिकी बाजार में 4-4.5% की गिरावट के बावजूद कल भारतीय बाजार आधा फीसदी से ज्यादा नहीं गिरा। कल अमेरिकी बाजार में 4.4.5% की उछाल रही, लेकिन आज सुबह भारतीय बाजार की बढ़त आधा फीसदी के अंदर ही सिमटी दिख रही है। जैसा मैंने कल भी लिखा था, भारतीय बाजार में एक थकान दिख रही है। शायद अगले 3 दिन छु्ट्टी मनाने के बाद जब दोनों खेमों के योद्धा वापस लौटेंगे, तब नये सिरे से बाजार में कुछ हलचल होगी।
इस बीच यह भी दिख रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अपनी बड़ी बिकवाली रोक ली है। एफआईआई ने 2 अगस्त से ही बिकवाली शुरू कर दी थी। हालाँकि पहला बड़ा झटका 3 अगस्त का था, जब उन्होंने 870 रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इसके बाद 4 अगस्त को हल्की बिकवाली के बाद उन्होंने 5 अगस्त को 1789 करोड़ रुपये, 8 अगस्त को 1386 करोड़ रुपये और 9 अगस्त को 2105 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की।
पिछले 2 दिनों से यह बिकवाली शांत है। उन्होंने 10 अगस्त को 153 करोड़ रुपये की हल्की खरीदारी की। कल 11 अगस्त को वे फिर शुद्ध रूप से बिकवाल बने, लेकिन केवल 60 करोड़ रुपये की मामूली बिकवाली रही।
भारतीय बाजार और उसमें एफआईआई जैसे बड़े समूह का पिछला कुछ दिनों का व्यवहार यही संकेत दे रहा है कि वैश्विक और घरेलू चिंताओं का जो असर दिखना था, वह दिख चुका है। अब अगर कोई नयी नकारात्मक खबर नहीं आती है, तो शायद निफ्टी 4946 की ताजा तलहटी को नहीं तोड़े। अगर किसी कारण से एफआईआई फिर से बड़े स्तर पर बिकवाली शुरू कर दें तो यह उम्मीद बेकार हो जायेगी। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, आप 4946 के स्तर पर अच्छा सहारा मिलने की उम्मीद रख सकते हैं।
एक खास पहलू यह है कि बाजार में हाल के महीनों में जब भी कोई तलहटी बनी, उस समय कोई बड़ी घबराहट वाली हालत नहीं थी। अक्सर बाजार में एक महत्वपूर्ण तलहटी उसी समय बनती है, जब एकदम घबराहट वाली हालत हो। इस बार बाजार ने यह शर्त पूरी कर ली है। इसलिए यह गुंजाइश तो बनती है कि हमने 4946 पर एक तलहटी बनती देख ली।.................................................................Rajeev Ranjan Jha